भारतीय राजनीति में वंशवाद का फ्लू

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भारत की दो बड़ी पार्टीयां कांग्रेस,और भाजपा आज दोनो ही पार्टीयों को वंशवाद की बीमारी ने बुरी तरह जकड़ लिया है या यूं कहें कि दोनो ही इसके अधीन हो गए हैं। इन पार्टीयों में सिर्फ उन्हीं लोगों को टिकट मिलेगा जो किसी राज घऱाने से ताल्लुक़ रखता हो, या फिर किसी मंत्री का रिशतेदार तो होना ही चाहिए जिन नेताओं में ये ऐबीलिटी हो वे इन पार्टीयों को ज्वाइन कर चुनाव लड़ सकते हैं और अगर पार्टी सत्ता पर काबिज़ हो गई तो मंत्रिमंडल की लिस्ट में सबसे उपर इनका ही नाम होता है। रही बात ग्रास रूट के नेताओं की तो उनका क्या वे ग्रास रूट में ही ज़िंदगी भर काम करते रहते हैं और करते रहेंगे। आज कई राजनैतिक पार्टीयां युवा कैंडिडेट पर बाज़ी लगा रही है। लेकिन वो भी कोई रईसज़ादा या मंत्रियों का रिशतेदार होता है सत्ता पर काबिज़ कांग्रेस युवा मंत्रियों पर ही नज़र डालिए मिलिंद देवड़ा , सचिन पायलट , ज्योतिरादित्य सिंधिया, उमर अबदुल्ला,इत्यादि। अब अक्टूबर में होने वाले तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों को ही देख लिजिए कि टिकट कसकी झोली में डाला गया है, महाराष्ट्र में प्रेजिडेंट प्रतिभा पाटिल और मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के बेटों, जबकि पुर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे की बेटी को कांग्रेस ने टिकट दिया। बीजेपी ने दिवंगत नेता प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन को कैंडिडेट बनाया है। उधर हरियाणा में ओमप्रकाश चौटाला के बेटे अजय चौटाला चुनाव और कांग्रेस से बंसीलाल के बेटे को टिकट थमाया गया है। पुर्व मुख्यमंत्री भजनलाल की पत्नी जसमा देवी भी मैदान में हैं। ऐसे में ये ख़ास नेतागणों तक आम लोगों की आवाज कैसे पहुंच सकती है। यही वजह है कि आज देश में ग़रीबी, महंगाई, बेरोज़गारी, निवारण के लिए चलाए जा रहे किसी भी प्रोजेक्ट का काम ग्रास रूट पर नहीं हो पा रहा है।

सोनिया छठी सबसे ताक़तवर महिला

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अमरीकी पत्रिका फ़ोर्ब्स ने 100 प्रभावशाली महिलाओं की सूची में भारत की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी को विश्व की छठी ताक़तवर महिला का दर्जा दिया है. सूची में शीतल पेय कंपनी पेप्सीको की मुख्य कार्यकारी इंदिरा नूई को पाँचवाँ स्थान दिया गया है.
जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल लगातार दूसरे साल भी फ़ोर्ब्स सूची में नंबर एक पर काबिज़ रहने में क़ामयाब रहीं.
पत्रिका के मुताबिक़ जर्मनी के इतिहास में पहली महिला राष्ट्रपति होने का गौरव हासिल करने वाली मर्केल ने अपनी शानदार नेतृत्व क्षमता की बदौलत लगातार दूसरी बार शीर्ष पर रहने में कामयाबी पाई है.
सूची में चीन की उपप्रधानमंत्री वू यी दूसरे स्थान पर हैं, जबकि सिंगापुर की तेमसेक होल्डिंग कंपनी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी 'हो चिंग' को तीसरी और अमरीकी विदेश मंत्री कोंडोलीज़ा राइस को दुनिया की चौथी सर्वाधिक ताक़तवर महिला माना गया है.
इटली में जन्मी और सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 1990 में राजनीति में प्रवेश के बाद से एक लंबा सफ़र तय किया है, और वह भारतीय राजनीति का एक प्रभावशाली चेहरा हैं

फ़ोर्ब्स ने भारत में प्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति चुने जाने को देश की महिलाओं के लिए भी ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इससे महिलाओं की राजनीतिक स्थिति बेहतर होने में मदद मिलेगी.
सूची में शामिल अन्य प्रभावशाली महिलाओं में ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ को 23वें, न्यूयॉर्क की सीनेटर हिलरी क्लिंटन को 25वें, फिलीपींस की राष्ट्रपति ग्लोरिया अरोयो को 51वें स्थान पर रखा गया है.
अमरीकी राष्ट्रपित जार्ज डब्लू बुश की पत्नी लौरा बुश को दुनिया की 60वीं और म्यामांर में नज़रबंद लोकतंत्र समर्थक नेता आंग सान सू की को 71वीं प्रभावशाली महिला का दर्जा दिया गया है.

आडवाणी ने फिर गाए ‘जिन्ना गुण’

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भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी और वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने दोहराया है कि पाकिस्तान के संस्थापक नेता मोहम्मद अली जिन्ना एक सेकुलर नेता थे। आडवाणी की 2005 की पाकिस्तान यात्रा के दौरान उनके इस आशय के बयान पर बवाल के बाद उन्हें पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ा था।
आडवाणी ने पाकिस्तान के डॉन न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में जिन्ना को स्वाभाविक रूप से एक सेकुलर नेता बताते हुए कहा, ‘यदि 11 अगस्त 1947 को दिए जिन्ना के भाषण पर अमल किया जाता तो पाकिस्तान भी आज एक धर्मनिरपेक्ष देश होता।’आडवाणी ने पाकिस्तान यात्रा के बाद भाजपा द्वारा कड़ा प्रस्ताव पारित करने का उल्लेख करते हुए जिन्ना के भाषण को भुला दिए जाने को इसकी वजह बताया।
ढांचा ढहाने से व्यथित: अयोध्या पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए आडवाणी ने कहा कि जहां उन्होंने अयोध्या में मंदिर निर्माण आंदोलन का समर्थन किया, वहीं वे विवादित ढांचा ढहाने की घटना से व्यथित भी हुए।
मुशर्रफ दोषी : आगरा में 2001 में हुए शिखर सम्मेलन की विफलता के लिए मुशर्रफ द्वारा उन्हें दोषी ठहराए जाने को गलत बताते हुए उन्होंने कहा कि मुशर्रफ के रुख में लचीलेपन के अभाव के कारण सम्मेलन विफल हुआ था। आडवाणी ने कहा, ‘मुशर्रफ यह मानने को ही राजी नहीं थे जम्मू-कश्मीर या पंजाब में आतंकवाद है जिसे वे या उनका देश बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने तो जम्मू-कश्मीर या देश के अन्य जगहों पर जो हो रहा है उसे आतंकवाद कहने तक से इनकार कर दिया था।’
मोदी का बचाव :
2002 में गुजरात दंगों के बाद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन का बचाव करते हुए आडवाणी ने 1984 के सिख दंगों का हवाला देते हुए कहा, ‘तब कांग्रेस ने तर्क दिया था कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है, ऐसे में मैं गुजरात सरकार को कैसे दोष दूं। उन्होंने एक सवाल के जवाब में माना कि गुजरात की घटनाएं एक हद तक गोधरा कांड की प्रतिक्रिया थी।

हम भारतीय हैं

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हम भारतीय हैं..भारतीयता केवल नागरिकता नहीं है..ये वो सम्मान है जो हमें मिला है...और हमें इस सम्मान को अपने मरते दम तक बचा कर रखना है..और हमेशा ध्यान रखना है कि इसकी गरिमा ,महत्ता और सम्मान पर कोई आंच न आए...अपने देश के लिए अपनी जिंदगी में जरूर कुछ करें..ताकि मरते वक्त ये ग़म न हो कि हमने देश के लिए कुछ नहीं किया...सही मायने में भारतीयता यही होगी..!

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Mera Pahla panna

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hi, all 

Mera pahla panna 

अंतिम समय में बापू ने क्या कहा था ?

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क्या राष्ट्रपिता गांधी ने प्राण त्यागते हुए,"हे राम" वाकई में कहा था? बापू पर लिखी एक नई किताब महात्मा गांधी-ब्रहमचर्य के प्रयोग के मुताबिक में दावा किया गया है कि अंतिम वक्त में उन्होंने ये शब्द नहीं कहे थे।
पत्रकार दयासागर शुक्ल 'सागर'ने यह किताब लिखी हैं। उन्होंने कहा कि आमतौर पर माना जाता है कि 60साल पहले,30जनवरी 1948 को नाथुराम गोडसे की गोली लगने से महात्मा गांधी गिर पडे थे। तब सिर्फ उनकी पोती मनु ने उन्हें हे राम बोलते हुए सुना था। शुक्ल ने इस मान्यता पर सवाल उठाया है। उन्होंने दावा किया है कि अंतिम सांसें लेते हुए गांधी जी ने 'आह' कहा था न कि हे राम ?

ये कैसी सजा

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कानुन हमेशा दावा करता है कि क़ानुन के नज़र में सज़ा के नियम सभी के लिए बराबर होते है। वहां अमीरी ग़रीबी नहीं देखी जाती,कोई सख़्शियत हो या आम आदमी यह नही देखा जाता। कुछ अरसा पहले क़ानुन के इसी पैमाने पर सलमान खान और संजय दत्त को उनके अपराधों की सजा सुनाइ गइ। ईन्हें चार और छ. साल की सज़ा सुनाई गई ।पर देखा जा रहा है कि किसी तरह इन शख्शीयतों ने अपनी जमानत का जुगाड कर ही लिया। सवाल है कि अगर किसी आम आदमी से ग़लती से अपराध हो जाता तो क्या वह जेल की सलाखों के बाहर रह सकता था। सलमान ,संजय के मामले से तो लगता है कि हर स्तर पर पैसा और रसूखदारों की ही चलती है।अगर यह बात ग़लत है तो संजय दत्त और सलमान खान को इस वक्त जेल में होना चाहिए था। Ashutosh Kumar Choudhary